बहुत समय पहले की बात है एक बार विष्णु जी बहुत ही मुश्किल मैं पड़े हुए थे.
उन्हें बिलकुल भी समझ मैं नहीं आ रहा था की इस समस्या से कैसे बाहर निकला
जाये. विष्णु जी लोगों की बढ़ती साधना भक्ति से वह प्रसन्न तो थे |
पर इससे उन्हें व्यावहारिक मुश्किलें आ रही थीं. कोई भी मनुष्य जब मुसीबत में
पड़ता, तो विष्णु जी के पास भागा भागा आता और उन्हें अपनी परेशानियां
बताता. उनसे कुछ न कुछ मांगने लगता.
विष्णु जी इससे दुखी हो गए थे. उन्होंने इस समस्या के निवारण के लिए देवताओं की बैठक बुलाई और बोले, देवताओं, मैं मनुष्य की रचना करके कष्ट में पड़ गया हूं. कोई न कोई मनुष्य हर समय शिकायत ही करता रहता है, जिससे न तो मैं कहीं शांति पूर्वक रह सकता हूं, न ही तपस्या कर सकता हूं. आप लोग मुझे कृप्या ऐसा कोई स्थान बताये जिस स्थान पर मनुष्य नाम का प्राणी कभी नहीं पहुँच सके |
विष्णु जी के विचारों का आदर करते हुए देवताओं ने अपने अपने विचार प्रकट किए. कार्तिक्ये जी बोले, आप हिमालय पर्वत की चोटी पर चले जाएं. विष्णु जी ने कहा, यह स्थान तो मनुष्य की पहुंच में है. उसे वहां पहुंचने में अधिक समय नहीं लगेगा. ब्रम्हा ने सलाह दी कि वह किसी महासागर में चले जाएं. वरुण देव बोले आप अंतरिक्ष में चले जाइए. विष्णु जी ने कहा,
एक दिन मनुष्य वहां भी अवश्य पहुंच जाएगा. विष्णु जी निराश होने लगे थे | विष्णु जी मन ही मन विचारने लगे, की क्या मेरे लिये कोई भी ऐसा गुप्त स्थान नहीं है, जहां मैं शांतिपूर्वक रह सकूं. अंत में सूर्य भगवान बोले, की आप ऐसा करें कि मनुष्य के हृदय में बैठ जाएं | मनुष्य आपको इस स्थान पर ढूंढने में सदा उलझा रहेगा. विष्णु जी को सूर्य देव की सुझाव पसंद आ गई |
उन्होंने ऐसा ही किया. वह मनुष्य के हृदय में जाकर बैठ गए. उस दिन से मनुष्य अपना दुख व्यक्त करने के लिए विष्णु जी को ऊपर ,नीचे, दाएं, बाएं, आकाश, पाताल में ढूंढ रहा है पर वह मिल नहीं रहे. मनुष्य अपने भीतर बैठे हुए देवता को नहीं देख पा रहा है. इसलिए ये कहना बिलकुल सत्य है की ईश्वर सदा ही हम लोगो के आस पास और हमारे अंदर ही निवास करते है , ये तो ही मुर्ख है जो की उन्हें कभी पहचान ही नहीं पाते है.
Comments are as...
☆ Leave Comment...