मध्यकालीन भारत का इतिहास

मध्यकालीन भारत के बारे में लेख

सामान्यतः मध्यकालीन भारत का तात्पर्य 1000 इस्वी से लेकर 1857 तक के भारत और इसके पड़ोसी देशों जो सांस्कृतिक एव ऐतिहासिक नजर से इसी के अंग रहे हैं |

♥ मध्य-कालीन भारत लेख के मुख्य बिंदुओ...
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1. मध्यकालीन भारत की अवधि क्या है ?
2. मुस्लिम शासन का आगाज़ |
3. दिल्ली सल्तनत की सत्ता |
4. दिल्ली सल्तनत की सत्ता पर काबिज वंश |
4. विजयनगर साम्राज्य का उदय |

2. मुस्लिम शासन का आगाज़ |


फ्रांस पर तुर्कों तथा अरबी के विजय के बाद इन सभी शासकों का ध्यान भारत रुख कर यहाँ विजय पाने की ओर ध्यान 11 वीं सदी में गया।
इसके पूर्व छिटपुट रूप से कुछ मुस्लिम शासक उत्तर भारत के कुछ इलाकों को जीत या वहाँ राज कर चुके थे |
पर इनका प्रभुत्व तथा शासन की अवधि अधिक नहीं रहा था।
लेकिन अरब सागर के मार्ग से अरब के लोग दक्षिण भारत के कई इलाकों खासकर के वे केरल से अपना व्यापार संबंध इससे कई सदी पहले से बनाये हुये थे |
लेकिन फिर भी इससे इन दोनों प्रदेशों के बीच सांस्कृतिक आदान - प्रदान बहुत ही कम ही हुआ था।

3. दिल्ली सल्तनत की सत्ता |


12 वीं सदी के अंत तक भारत पर फ़ारसी, तुर्क, तथा अफ़गान आक्रमण बहुत तेज हो चुके थे। idian country map history
महमूद गज़नवी के बारं - बार आक्रमण ने दिल्ली सल्तनत को हिला कर के रख दिया था।
1192 इस्वी में तराईन के युद्ध में दिल्ली का शासक पृथ्वीराज चौहान पराजित हुआ |
और इसके बाद से दिल्ली की सत्ता पर पश्चिमी आक्रांताओं का कब्जा हो गया हो चूका था।
हालाँकि महमूद गज़नवी पृथ्वीराज चौहान को हराकर वापस लौट गया था |
पर उसके ग़ुलामों ने दिल्ली की सत्ता पर राज किया और आगे यही से दिल्ली सल्तनत की नींव साबित हुई।
दिल्ली की सत्ता पर निम्नलिखित वंशो ने राज किया जिनके बारे में संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार से दिया गया है |

1. ग़ुलाम वंश

इस वंश की स्थापना के साथ ही भारत में इस्लामी शासन की शुरुआत हो चूका था।
कुतुबुद्दीन ऐबक जो की वह इस वंश का प्रथम शासक था। उसने 1206 ईस्वी से लेकर 1210 ईस्वी तक शासन किया था |
कुतुबुद्दीन ऐबक के बाद इल्तुतमिश ने 1211 ईस्वी से लेकर 1236 ईस्वी तक शासन किया था |
रजिया सुल्तान ने 1236 ईस्वी से लेकर 1240 ईस्वी तक शासन किया था |
तथा कई अन्य शासकों के बाद उल्लेखनीय रूप से गयासुद्दीन बलबन यहाँ का सुल्तान बना |
जिसकी अवधि 1250 से लेकर 1290 तक था। इल्तुतमिश के समय :छिटपुट मंगोल आक्रमण भी हुआ था।
पर भारत पर कभी भी मंगोलों का बड़ा आक्रमण नहीं हुआ और मंगोल जिसे फ़ारसी में मुग़ल कहा जाता है | तुर्की , ईरान, और मध्य एशिया तथा मध्यपूर्व में सीमित रहे ।

2. ख़िलजी वंश

जलालुद्दीन फीरोज़ खिल्जी, जो की इस वंश का संस्थापक था |
वस्तुतः बलबन की मृत्यु के बाद सेनापति को इस वंश का शासक नियुक्त किया गया था।
लेकिन उसने ने सुल्तान कैकूबाद की क़त्ल कर दिया | और खुद सुल्तान की गद्दी पर बैठ गया।
इसके बाद उस गद्दी पर उसी का दामाद अल्लाउद्दीन खिल्जी शासक बना।
अल्लाउद्दीन ने न सिर्फ अपने साम्राज्य का विस्तार किया बल्कि उत्तर पश्चिम से होने वाले मंगोल आक्रमणो का डटकर मुकाबला भी किया।

3. तुग़लक़ वंश

गयासुद्दीन तुग़लक़, तुग़लक़, फ़िरोज़ शाह तुग़लक़, मुहम्मद बिन तुगलक आदि ये सभी इस वंश के प्रमुख शासक थे।
फ़िरोज शाह तुग़लक़ के उत्तराधिकारी तैमूर लंग के आक्रमण का सामना नहीं कर सका और तुग़लक़ वंश का पतन 1400 इस्वी तक हो गया था।

4. सय्यद वंश

सय्यद वंश की स्थापना 1414 इस्वी में खिज्र खाँ के द्वारा किया गया था ।
इस वंश अधिक समय तक सत्ता मे नहीं रह सका और इसके बाद लोदी वंश सत्ता में आया था।

5. लोधी वंश

लोधी वंश की स्थापना 1451 में और इस वंश का पतन बाबर के आक्रमण के द्वारा 1526 में हुआ था । इस वंश का आखिरी शासक इब्राहीम लोदी था।

4. विजयनगर साम्राज्य का उदय |


विजयनगर साम्राज्य की नीव बुक्का तथा हरिहर नामक दो भाइयों ने मिलकर की थी। यह 15 वीं सदी में अपने चरम पर पहुँच चूका था | जब कृष्णा नदी के दक्षिण का सारा भू - भाग इस साम्राज्य के अधीन आ गया था। यह उस समय भारत का एकमात्र ऐसा साम्राज्य था, जो की एक मात्र हिन्दू राज्य बना हुआ था। लेकिन अलाउद्दीन खिल्जी के द्वारा कैद किये जाने के उपरांत बुक्का तथा हरिहर ने इस्लाम को कबूल कर लिया था | जिसके बाद उन दोनों भाइयों को दक्षिण विजय के लिये भेजा दिया गया था। पर उस अभियान में उन्हें सफलता न मिल पाने के कारण उन्होंने विद्यारण्य नामक संत के प्रभाव से उन्होंने वापस हिन्दू धर्म को अपना लिया था। उस समय विजयनगर के शत्रुओं में बहमनी, अहमदनगर, होयसल बीजापुर तथा गोलकुंडा के राज्य थे।
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