भारतीय ईतिहास के स्वतंत्रता सेनानी के बारे में संक्षिप्त लेख
सैकड़ों वर्षों से ग़ुलामी कि जंजीरों में जकड़ा हुआ, हमारा भारत सन 1947 में आज़ाद हुआ, यह आजादी लाखों वीर सपूतों के त्याग और बलिदान के कारण ही संभव हो पाई |
इन महान लोगों ने अपना तन-मन-धन त्यागकर देश की आज़ादी के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया |
अपने परिवार, घर-बार और दुःख-सुख को भूल, देश के कई महान सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी ताकि आने वाली पीढ़ी स्वतंत्र भारत में चैन की सांस ले सके |
स्वतंत्रता आन्दोलन में समाज के हर तबके और देश के हर भाग के लोगों ने हिस्सा लिया |
स्वतंत्र भारत का हरेक व्यक्ति आज इन वीरों और महापुरुषों का ऋणी है जिन्होंने अपना सब कुछ छोड़ सम्पूर्ण जीवन देश की आजादी केलिए समर्पित कर दिया |
भारत माता के ये महान सपूत आज हम सब के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं | इनकी जीवन गाथा हम सभी को इनके संघर्षों की बार-बार याद दिलाती है और प्रेरणादेती है |
अपने ‘स्वतंत्रता सेनानी’ भाग में हम इन तमाम महापुरुषों और महिलाओं के जीवन के बारे में जानेंगे जिन्होंने ने कठोर और दमनकारी ‘अंग्रेजी हुकूमत’ से लड़कर देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई |
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रानी लक्ष्मी बाई :– भारत के उत्तर में झाँसी नाम की जगह है, यहाँ की रानी लक्ष्मी बाई थी |
इनका जन्म महाराष्ट्रियन परिवार में हुआ था. उस समय भारत का गवर्नर डलहौजी था, उसने नियम निकाला कि जिस भी राज्य में राजा नहीं है वहां अंग्रेजों का अधिकार होगा |
उस समय रानी लक्ष्मी बाई विधवा थी, उनके पास 1 गोद लिया हुआ बेटा दामोदर था |
उन्होंने अंग्रेजो के सामने घुटने टेकने से मना कर दिया और अपनी झाँसी को बचाने के लिए उनके खिलाफ जंग छेड़ दी. मार्च 1858 में अंगेजों से लगातार 2 हफ्ते तक युद्ध किया जो वो हार गई थी |
इसके बाद वे ग्वालियर चली गई जहाँ एक बार फिर उनका युद्ध अंग्रेजों से हुआ |
1857 के संग्राम में रानी लक्ष्मी बाई का विशेष योगदान रहा था | इनका नाम भारत के स्वतंत्रता सेनानी मे बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है |
जन्म |
1828 |
विवाह |
1842 |
जन्म स्थान |
काशी (वाराणसी) |
पति का नाम |
झाँसी के राजा गंगाधरराव |
मृत्यु |
18 जून 1858 |
- लाल बहादुर शास्त्री :– स्वतंत्र भारत के दुसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी चुने गये थे | शास्त्री जी ने देश की आजादी के लिये भारत छोड़ो आन्दोलन,नामक सत्याग्रह आन्दोलन और असहयोग आन्दोलन में हिस्सा लिया था. ये देश के भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे. आजादी के समय उन्होंने 9 साल जेल में भी बिताये. आजादी के बाद वे home मिनिस्टर बन गए और फिर 1964 में दुसरे प्रधानमंत्री. 1965 में हुई भारत पाकिस्तान की लड़ाई में उन्होंने मोर्चा संभाला था | इन्होंने “जय जवान जय किसान” का नारा दिया | 1966 में जब वे विदेश दौरे पर थे तब अचानक दिल का दौरा पड़ने से उनकी म्रत्यु हो गई.
जन्म |
2 अक्टूबर 1904 |
जन्म स्थान |
उत्तर प्रदेश |
मृत्यु |
1966 |
- जवाहरलाल नेहरु – पंडित जवाहरलाल नेहरु को आज बच्चा बच्चा जनता है. ये भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे. इनके पिता मोती लाल नेहरु एक बैरिस्टर और नेता थे. 1912 में नेहरु जी विदेश से अपनी पढाई पूरी करने के बाद भारत में बैरिस्टर की तरह काम करने लगे. महात्मा गाँधी के संपर्क में आने के बाद वे आजादी की लड़ाई में कूद पड़े, और भारतीय कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए. आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरु देश के प्रथम प्रधानमंत्री बने. आजादी की लड़ाई में वे महात्मा गाँधी के साथ मिल कर अंग्रेजों के खिलाफ खड़े रहे. बच्चों से उन्हें विशेष प्रेम था इसलिए आज भी हम उनके जन्म दिन को बाल दिवस के रूप में मनाते है. दिल्ली में उनका निधन हो गया.
जन्म |
14 नवम्बर 1889 |
जन्म स्थान |
इलाहाबाद |
मृत्यु |
27 मई 1964 |
- बाल गंगाधर तिलक – “ स्वराज हमारा जन्म सिध्य अधिकार है और हम इसे लेकर ही रहेंगे.” पहली बार यह नारा बाल गंगाधर तिलक जी ने ही बोला था | इनको 'भारतीय अशांति के पिता' कहा जाता था | इन्होंने डेकन एजुकेशन सोसाइटी की इन्होंने स्थापना की थी, जहाँ भारतीय संस्कृति के बारे में पढ़ाया जाता था, साथ ही ये स्वदेशी काम से जुड़े रहे. बाल गंगाधर तिलक पुरे भारत में घूम घूम कर लोगों को आजादी की लड़ाई में साथ देने के लिए प्रेरित करते थे. इनकी अंतिम यात्रा में महात्मा गाँधी के साथ लगभग 20 हजार लोग शामिल हुए थे.
जन्म |
23 जुलाई 1856 |
जन्म स्थान |
महाराष्ट्र के रत्नागिरी |
मृत्यु |
1 अगस्त 1920 |
- लाला लाजपत राय :– लाला लाजपत राय जी का उपनाम पंजाब केसरी नाम से भी प्रसिद्ध थे. भारतीय नेशनल कांग्रेस के लाला लाजपत राय बहुत प्रसिद्ध नेता और भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे | ये लाल बाल पाल की तिकड़ी में शामिल थे | ये तीनों कांग्रेस के मुख्य और प्रसिद्ध नेता थे. 1914 में वे ब्रिटेन भारत की स्थिति बताने गए थे,
लेकिन विश्व युद्ध होने की वजह से वे वहां से लौट ना सके. 1920 में जब वे भारत आये, तब जलियाँवाला हत्याकांड हुआ था, इसके विरुद्ध में उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आन्दोलन छेड़ दिया था. एक आन्दोलन के दौरान अंगेजों के लाठी चार्ज से वे बुरी तरह घायल हुए जिसके पश्चात् उनकी म्रत्यु हो गई.
जन्म |
28 जनवरी 1865 |
जन्म स्थान |
पंजाब |
मृत्यु |
17 नवम्बर 1928 |
- चंद्रशेखर आजाद – चंद्रशेखर आजाद नाम की ही तरह आजाद थे, उन्होंने स्वतंत्रता की आग में घी डालने का काम किया था. उनका परिचय इस प्रकार था,
चंद्रशेखर आजाद स्वतंत्रता की लड़ाई में युवाओं को आगे आने के लिए प्रेरित करते थे,
उन्होंने युवा क्रांतिकारीयों की एक फ़ौज खड़ी कर दी थी. उनकी सोच थी की स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए हिंसा जरुरी है,
इसलिए वे महात्मा गाँधी से अलग कार्य करते थे. चंद्रशेखर आजाद का खौफ अंगेजों में बहुत था. चंद्रशेखर आजाद ने काकोरी ट्रेन लूटने की योजना बनाई थी, और इसे लुटा भी था | किसी ने इनकी खबर अंग्रेजों को दे दी, जिससे अंग्रेज इन्हें पकड़ने के लिए इनके पीछे पड़ गए. चंद्रशेखर आजाद किसी अंग्रेज के हाथों नहीं मरना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपने आप को गोली मार ली और शहीद हो गए.
नाम |
आजाद |
पिता का नाम |
स्वाधीनता |
पता |
जेल |
मृत्यु |
27 फ़रवरी 1931 |
- सुभाषचंद्र बोस –
सुभाषचंद्र बोस को नेता जी कहते है इनका जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा में हुआ था. 1919 को वे पढाई के लिए विदेश चले गए, तब उन्हें वहां जलियाँवाला हत्याकांड का पता चला, जिससे वे अचंभित हो गए और 1921 को भारत लौट आये. भारत आकर इन्होंने भारतीय कांग्रेस ज्वाइन की और नागरिक अवज्ञा आन्दोलन में भाग लिया. अहिंसावादी गाँधी जी की बातें उन्हें गलत लगती थी, जिसके बाद वे हिटलर से मदद मांगने के लिए जर्मनी गए. जहाँ उन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी (INA) संगठित की. दुसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान जो INA की मदद कर रहा था, समर्पण कर दिया, जिसके बाद नेता जी वहां से भाग निकले. लेकिन कहते है 17 अगस्त 1945 को उनका प्लेन क्रेश हो गया, जिससे उनकी म्रत्यु हो गई. इनकी म्रत्यु से जुड़े तथ्य आज भी रहस्य बने हुए है.
जन्म |
23 जनवरी 1897 |
जन्म स्थान |
उड़ीसा |
मृत्यु |
17 अगस्त 1945 |
- मंगल पांडेय –
भारत के इतिहास में स्वतंत्रता सेनानीयों में सबसे पहले मंगल पांडे का नाम आता है. 1857 की लड़ाई के समय से इन्होंने आजादी की लड़ाई छेड़ दी और सबको इसमें साथ देने को कहा. मंगल पांडे ईस्ट इंडिया कंपनी में सैनिक थे. 1847 में खबर फैली की ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा जो बन्दुक का कारतूस बनाया जाता है, उसमें गाय की चर्बी का इस्तेमाल होता है, इसे चलाने के लिए कारतूस को मुह से खीचना पड़ता था, जिससे गाय की चर्बी मुहं में लगती थी, जो हिन्दू मुस्लिम दोनों धर्मो के खिलाफ था. उन्होंने अपनी कंपनी को बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन कुछ नहीं हुआ. 8 अप्रैल 1857 को इनकी म्रत्यु हो गई.
जन्म |
19 जुलाई 1827 |
जन्म स्थान |
उत्तर प्रदेश |
मृत्यु |
8 अप्रैल 1857 |
- भगत सिंह –
भगत सिंह का नाम बच्चा बच्चा जानता है. युवा नेता भगत का जन्म 27 सितम्बर 1907 को पंजाब में हुआ था. इनके पिता और चाचा दोनों स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल थे, जिससे बचपन से ही इनके मन में देश के प्रति लगाव था और वे बचपन से ही अपने देश के लिए कुछ करना चाहते थे. 1921 में इन्होंने असहयोग आन्दोलन में अपनी हिस्सेदारी दी, लेकिन हिंसात्मक प्रवति होने के कारण भगत ने यह छोड़ नौजवान भारत सभा बनाई. जो पंजाब के युवाओं को आजादी में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करती थी. चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर इन्होंने आजादी के लिए बहुत से कार्य किये. 1929 में इन्होंने अपने आप को पकड़वाने के लिए संसद में बम फेंक दिया, जिसके बाद इन्हें 23 मार्च 1931 को राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी की सजा दी गई.
जन्म |
27 सितम्बर 1907 |
जन्म स्थान |
पंजाब |
मृत्यु |
23 मार्च 1931 |
- भीमराव अम्बेडकर – दलित परिवार में पैदा हुए
भीमराव अम्बेडकर जी ने भारत से जाति सिस्टम ख़त्म करने के लिए बहुत कार्य किये. नीची जाति के होने की वजह से उनकी बुधिमियता को कोई नहीं मानता था. लेकिन इन्होंने फिर बुद्ध जाति अपना ली और दूसरी नीची जाती वालों को भी ऐसा करने को कहा, भीमराव अम्बेडकर जी ने हमेशा सबको समझाया की जाति धर्म मानवता से बढ़ कर नहीं होता है. हमें सबके साथ सामान व्यव्हार करना चाहिए. अपनी बुध्दी के बदौलत वे भारत सविधान कमिटी के चेयरमैन बन गए. जनतांत्रिक भारत के संविधान को डॉ भीमराव अम्बेडकर ने ही लिखा था.
जन्म |
14 अप्रैल 1891 |
जन्म स्थान |
महू, मध्यप्रदेश |
मृत्यु |
6 दिसम्बर 1956 |
- सरदार वल्लभभाई पटेल – भारतीय कांग्रेस के नेता
सरदार वल्लभभाई पटेल एक वकील थे. वल्लभभाई जी ने नागरिक अवज्ञा आन्दोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन में हिस्सा लिया था. वल्लभभाई जी ने देश की आजादी के बाद आजाद भारत को संभाला. आजाद भारत बहुत सारे राज्यों में बंट गया था जहाँ पाकिस्तान भी अलग हो चूका था. उन्होंने देश के सभी लोगों को समझाया कि देश की रक्षा के लिए सभी राजतन्त्र समाप्त कर दिए जायेंगे और पुरे देश में सिर्फ एक सरकार का राज्य चलेगा. उस समय देश को ऐसे नेता की जरुरत थी जो उसे एक तार में बांधे रखे बीखरने ना दे. आजादी के बाद भी देश में बहुत परेशानियाँ थी जिसे सरदार वल्लभभाई पटेल ने बहुत अच्छे से सुलझाया था.
जन्म |
31 अक्टूबर 1875 |
जन्म स्थान |
नाडियाड |
मृत्यु |
15 दिसम्बर 1950 बॉम्बे |
- महात्मा गाँधी :–

राष्ट्रपिता
महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में हुआ था. अहिंसावादी महात्मा गाँधी ने अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई पूरी सच्चाई और ईमानदारी से लड़ी. वे अहिंसा पर विश्वास रखते थे और कभी किसी अंग्रेज को गली भी नहीं दी. इस वजह से अंग्रेज उनकी बहुत इज्जत भी करते थे. सत्याग्रह आन्दोनल,
भारत छोड़ो आन्दोलन, असहयोग आन्दोलन, साइमन वापस जाओ, नागरिक अवज्ञा आन्दोलन और भी बहुत से आन्दोलन महात्मा गाँधी ने शुरू किये. वे सबको स्वदेशी बनने के लिए प्रेरित करते थे और अंग्रेजो के सामान को उपयोग करने से मना करते थे. महात्मा गाँधी के प्रयासों के चलते अंग्रेजो ने 15 अगस्त 1947 को देश छोड़ दिया. 30 जनवरी 1948 को नाथू राम गोडसे ने गोली मार कर इनकी हत्या कर दी थी.
जन्म |
2 अक्टूबर 1869 |
जन्म स्थान |
गुजरात |
मृत्यु |
30 जनवरी 1948 |
- सरोजनी नायडू –
सरोजनी नायडू एक कवित्री और सामाजिक कार्यकर्ता थी. ये पहली महिला थी जो भारत व भारतीय नेशनल कांग्रेस की गवर्नर बनी. सरोजनी नायडू भारत के संबिधान के लिए बनी कमिटी की मेम्बर थी. बंगाल विभाजन के समय ये देश के मुख्य नेता जैसे महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरु के संपर्क में आई और फिर आजादी की लड़ाई में सहयोग देने लगी. ये पुरे भारत में घूम घूम कर लोगों को अपनी कविता और भाषण के माध्यम से स्वतंत्रता के बारे में बताती थी. देश की मुख्य महिला सरोजनी नायडू का जन्म दिवस अब महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है.
जन्म |
13 फरवरी 1879 |
जन्म स्थान |
हैदराबाद |
मृत्यु |
2 मार्च 1949 |
- बिरसा मुंडा :- – बिरसा मुंडा का जन्म 1875 को स्थान - रांची में हुआ था | बिरसा मुंडा ने बहुत से कार्य किये, आज भी बिहार तथा झारखण्ड के लोग इन्हें भगवान की तरह मानते थे, और इन्हें “धरती बाबा” कहकर संबोधित करते थे | वे सामाजिक कार्यकर्त्ता थे जो समाज को सुधारने के लिए हमेशा कुछ ना कुछ करते रहते थे. 1894 में अकाल के दौरान बिरसा मूंडे ने अंगेजों से लगान माफ़ करने को कहा जब वो नहीं माने तो बिरसा मुंडा ने आन्दोलन छेड़ दिया. 9 जून 1900 महज 25 साल की उम्र में बिरसा मुंडा ने अंतिम साँसे ली.
जन्म |
15 नवम्बर 1875 |
जन्म स्थान |
रांची |
मृत्यु |
9 जून 1900 रांची जेल |
- अशफाक़उल्ला खान – भारत देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अशफाक़उल्ला खान एक निर्भय, साहसी और प्रमुख स्वतंत्रता संग्रामी थे. वे उर्दू भाषा के कवी थे. काकोरी कांड में अशफाक़उल्ला खान का मुख्य चेहरा था. इनका जन्म 22 अक्टूबर 1900 को उत्तर प्रदेश में हुआ था. क्रन्तिकारी विचारधारा के अशफाक़उल्ला खान महात्मा गाँधी की सोच के बिल्कुल विपरीत कार्य करते थे. उनकी सोच थी की अंग्रेज से शांति से बात करना बेकार है उन्हें सिर्फ गोली और विस्फोट की आवाज सुने देती है. तब राम प्रसाद बिस्मिल के साथ मिल कर इन्होंने काकोरी में ट्रेन लुटने की योजना बनाई. राम प्रसाद के साथ इनकी गहरी दोस्ती थी. 9 अगस्त 1925 को राम प्रसाद के साथ अशफाक़उल्ला खान और 8 अन्य साथियों के साथ मिलकर इन्होंने ट्रेन में अंग्रेजो का खजाना लुटा था.
जन्म |
22 अक्टूबर 1900 |
जन्म स्थान |
उत्तर प्रदेश |
मृत्यु |
19 दिसम्बर 1927 फरीदाबाद जेल |
- बहादुर शाह जफ़र – मुग़ल साम्राज्य का आखिरी शासक बहादुर शाह जफ़र का नाम भी स्वतंत्रता संग्रामी की सूचि में शामिल है.
1857 की लड़ाई में इन्होने मुख्य भूमिका निभाई थी. ब्रिटिशों की सेना ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ शाह जफ़र ने अपनी विशाल सेना खादी कर दी थी, और खुद अपनी सेना के सेनापति थे. उनके इस काम के लिए उन्हें विद्रोही कहा जाने लगा, तथा उन्हें बंगलादेश के रंगून में निर्वासित कर दिया गया था.
जन्म |
24 अक्टूबर 1775 |
जन्म स्थान |
दिल्ली |
मृत्यु |
7 नवम्बर 1862 म्यांमार |
- डॉ राजेन्द्र प्रसाद – हम
डॉ राजेन्द्र प्रसाद को देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में जानते है, लेकिन देश को आजाद कराने के लिए वे हमेशा सभी देश वासियों के साथ खड़े रहे, स्वतंत्रता की लड़ाई में राजेंद्र प्रसाद का नाम भी सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ था. इन्हें हमारे देश का सविधान का वास्तुकार कहा जाता है. महात्मा गाँधी को अपना आदर्श मानने वाले राजेन्द्र प्रसाद ने कांग्रेस ज्वाइन कर बिहार से एक प्रमुख नेता बन गए. नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आन्दोलन में इन्होने मुख्य भूमिका निभाई थी, जिसके लिए उन्हें कई बार जेल यातनाएं भी सहनी पड़ी थी.
जन्म |
3 दिसम्बर 1884 |
जन्म स्थान |
जिरादेई |
मृत्यु |
28 फ़रवरी 1963 पटना |
- राम प्रसाद बिस्मिल – राम प्रसाद स्वतंत्रता सेनानी थे, उनका नाम मैनपुरी व् काकोरी कांड में सबसे ज्यादा प्रख्यात है. ब्रिटिश शासन के वे सख्त खिलाफ थे, वे बहुत बड़े कवी भी थे, जो अपने मन की बात कविताओं के जरिये सब तक पहुंचाते थे. ये हिंदी उर्दू भाषा में लिखा करते थे. ‘सरफरोशियों की तम्मना’ जैसी महान यादगार कविता इन्ही ने लिखी थी.
जन्म |
11 जून 1897 |
जन्म स्थान |
शाहजनापुर |
मृत्यु |
19 दिसम्बर 1927 गोरखपुर जेल |
- सुखदेव थापर :– सुखदेव देश के स्वतंत्रता संग्रामी में से एक थे, उन्होंने भगत सिंह एवं राजगुरु के साथ दिल्ली की असेंबली में बम फेककर एक छोटा सा विस्फोट किया था, और अपने आप को गिरफ्तार करा दिया था. इसके पहले उनका नाम ब्रिटिश अफसर को गोली मारने के लिए भी सामने आया था. सुखदेव भगत सिंह के अच्छे मित्र भी थे, इन्हें भगत सिंह के साथ ही 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी. युवाओं के लिए ये आज भी एक प्रेरणा का स्त्रोत्र है.
जन्म |
15 मई 1907 |
जन्म स्थान |
लुधियाना |
मृत्यु |
23 मार्च 1931 लाहौर जेल |
- शिवराम राजगुरु –
शिवराम राजगुरु भगत सिंह के ही साथी थे, जिन्हें मुख्यतः ब्रिटिश राज के पुलिस अधिकारी को मारने के लिए जाना जाता है. ये हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में कार्यरत थे, जो भारत देश की आजादी के लिए अपने प्राण भी देने को तैयार थे. राजगुरु गाँधी जी की अहिंसावादी बातों के बिलकुल विरोश में थे, उनके हिसाब से अंग्रजो को मार मारकर अपने देश से निकलना चाहिए.
जन्म |
24 अगस्त 1908 |
जन्म स्थान |
पुणे |
मृत्यु |
23 मार्च 1931 लाहौर जेल |
- खुदीराम बोस – ये सबसे नौजवान स्वतंत्रता संग्रामी रहे है. स्वतंत्रता की लड़ाई के शुरुवाती दौर में ही ये उसमें कूद पड़े थे. बचपन से देशप्रेम के चलते इन्होने आजादी को ही अपनी मंजिल बना ली थी. उन्हें शहीद लड़का कहके सम्मान दिया जाता है. स्कूल में पढने के दौरान खुदीराम ने अपने टीचर से उनका रिवाल्वर मांग लिया था, ताकि वे अंग्रेजो को मार सकें. मात्र 16 साल की उम्र में इन्होने पास के पुलिस स्टेशन व् सरकारी दफ्तर में बम ब्लास्ट कर दिया. जिसके 3 साल बाद इन्हें इसके जुल्म में गिरफ्तार किया गया, और फांसी की सजा सुने गई. जिस समय इनको फांसी हुई थी, इनकी उम्र 18 साल 8 महीने 8 दिन थी.
जन्म |
3 दिसम्बर 1889 |
जन्म स्थान |
हबीबपुर |
मृत्यु |
11 अगस्त 1908 कलकत्ता |
- दुर्गावती देवी (दुर्गा भाभी) –
ब्रिटिश राज के खिलाफ ये महिला उस समय खड़ी रही जब देश में महिलाओं को घर से बाहर तक निकलने की इजाज़त नहीं थी. भगत सिंह जब ब्रिटिश ऑफिसर को मार कर भागते है, तब वे दुर्गावती के पास मदद के लिए जाते है |
दोनों दुर्गावती भगत सिंह और राजगुरु के साथ में ही ट्रेन में सफ़र करते है, जहाँ दुर्गावती इन्हें ब्रिटिश पुलिस से बचाती है. दुर्गावती भगत सिंह की पत्नी बन जाती है, जिससे किसी को शक ना हो.
इनके पति का नाम भगवतीचरण बोहरा था, जो भगत सिंह के साथ ही आजादी के लड़ाई में खड़े हुए थे.
उनकी पार्टी के सभी लोग इन्हें दुर्गा भाभी कहा करते थे. दुर्गावती नौजवान भारत सभा की मेम्बर भी थी.
जन्म |
7 अक्टूबर 1907 |
जन्म स्थान |
बंगाल |
मृत्यु |
15 अक्टूबर 1999 गाज़ियाबाद |
भारत के अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ( Some Other Freedom Fighters of India list )
क्रमांक |
स्वतंत्रता सेनानी |
1. |
नाना साहेब |
2. |
तांतिया टोपे |
3. |
विपिन चन्द्र पाल |
4. |
चित्तरंजन दास |
5. |
राजा राममोहन दास |
6. |
दादाभाई नौरोजी |
7. |
वीर विनायक दामोदर सावरकर |
8. |
कस्तूरबा गाँधी |
9. |
गोविन्द वल्लभ पन्त |
10. |
रविन्द्रनाथ टैगोर |
11. |
अबुल कलाम आजाद |
12. |
रसबिहारी बसु |
13. |
जय प्रकाश नारायण |
14. |
मदन लाल ढींगरा |
15. |
गणेश शंकर विघार्थी |
16. |
करतार सिंह सराभा |
17. |
बटुकेश्वर दत्त |
18. |
सूर्या सेन |
19. |
गणेश घोष |
20. |
बीना दास |
21. |
कल्पना दत्ता |
22. |
करतार सिंह सराभा |
23. |
सुबोध रॉय |
24. |
अश्फाक अली |
25 |
बेगम हज़रात महल |
इनके जीवन से हम बहुत कुछ सीख कर अपने जीवन में उतार सकते है. आज भी भारत को ऐसे ही क्रन्तिकारीयों की जरुरत है, जो देश को भ्रष्टाचार, गरीबी से आजाद कराये. आप किस स्वतंत्रता सेनानी के जीवन से सबसे ज्यादा प्रभावित होते है.
⊕ भारतीय क्रान्तिकारी ⊕
लाला हरदयाल
राम प्रसाद बिस्मिल
अशफ़ाक़ुल्लाह ख़ाँ
भगत सिंह
चन्द्रशेखर आजाद
वीर सावरकर
सुखदेव
बाघा यतीन
रासबिहारी बोस
खुदीराम बोस
श्यामजी कृष्ण वर्मा
सूर्य सेन
हेमू कालाणी
शचीन्द्रनाथ बख्शी
रामकृष्ण खत्री
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