1. पृथ्वी का निर्माण कैसे और कब हुआ ?
पृथ्वी का जन्म कब और कैसे हुआ, यह एक ऐसा प्रश्न जिसका उतर जानने के लिये मन में बहुत से अंतरीक्ष से जुड़ी हुई दृश्य चलने लगते |
और इस सवाल को जब आप जानने का प्रयास करते है, तो सिर्फ आप पृथ्वी के निर्माण के बारे में ही नहीं जानेगे,
बल्कि काफी हद तक इससे जुड़ी हुई जानकारियाँ जैसे की आप सौरमंडल के निर्माण के बारे में भी जान पायेगे।
और सिर्फ इतना ही नहीं आपको अपने सौरमंडल के अन्य के ग्रह और उनके bodies के निर्माण से जुड़ी हुई जानकारी सिर्फ पृथ्वी के निर्माण के बारे में जानने से ही मालूम हो जाएगा।
तो चलिए आज हम यह जानने और समझने का प्रयास करते हैं, कि अपनी पृथ्वी का निर्माण कब और कैसे हुआ ?…
♥ पृथ्वी का निर्माण होने के मुख्य बिंदुओ...
1. पृथ्वी का निर्माण कैसे और कब हुआ ?
2. क्या सौरमंडल के निर्माण के समय ही शुरू हुआ पृथ्वी का भी निर्माण ?
3. पृथ्वी एक बहुत ही विशेष क्षेत्र में स्थित हैं |
4. क्या पृथ्वी से एक ग्रह टकराया था ?
5. इस प्रकार से बना था, गैस दानव |
6. पृथ्वी से जुड़े हुये सवालों के जवाब..
2. सौरमंडल के निर्माण के समय ही शुरू हुआ पृथ्वी का भी निर्माण
आज से लगभग 4.6 अरब साल पूर्व गैस के ठंडे बादल और धूलकण जिसे निहारिका
(Nebula) कहते हैं।
इन दोनों के आपस में गुरुत्वाकर्षण यानी gravitationally collapse के कारण आपस में जुड़कर, इसी Solar Nebula के बीच में सूर्य का निर्माण करते हैं।
और बिल्कुल उसी प्रकार जैसा किसी तारे की उत्पत्ति होती है।
Solar Nebula के मध्य में सूर्य के निर्माण होने के बाद शेष बचे हुए निहारिकाओं के धूलकण सूर्य के चारों तरफ घूमते हुये एक डिस्क का निर्माण कर लेता हैं।
और ठीक इस डिस्क में घूमते हुए अन्य छोटे छोटे पार्टिकल ग्रेविटी के कारण आपस में जुड़कर बहुत बड़े पार्टिकल बनाने लगते हैं।
परन्तु अभी भी कुछ इसमें हल्के और बेहद छोटे - छोटे कण (Element:-एलिमेंट) जैसे की...
हीलियम (He) और हाइड्रोजन (H) सूर्य के पास वाले क्षेत्र में स्थित रहता हैं।
परन्तु Solar nebula के मध्य में बना हुआ सूर्य के द्वारा सौर हवा (Solar wind) के कारण
यह हल्के कण (Element: एलिमेंट) सूर्य से थोड़ा दूर चला जाता हैं।
परन्तु बहुत अधिक दूर नहीं और अब सूर्य के पास बड़े मैटेरियल और थोड़े भारी मैटेरियल शेष रह जाते हैं ।
यह बड़े मैटेरियल आपस में गुरुत्वाकर्षण के द्वारा आपस में जुड़ना शुरू हो जाता हैं।
जो Element बहुत ज्यादा भारी होता हैं वह सबसे पहले आपस में जुड़कर स्थलीय ग्रह (terrestrial Planets) का कोर (core) बनाता हैं।
स्थलीय ग्रह जैसे शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बुध। जब इन स्थलीय ग्रह के कोर बन जाता हैं |
तो पुनः इस कोर के ऊपर, कोर के मैटेरियल से कम भारी के मैटेरियल कोर के ऊपर गुरुत्वाकर्षण बल के कारण आपस में जुड़ते रहते हैं।
भारी मैटेरियल कोर की ओर जाते रहते हैं, और कम भारी के मैटेरियल के ऊपर आते रहते हैं।
और इस प्रकार कोर यानि crust की लेयर बना लेते हैं ।
इस प्रकार 4 बड़े -बड़े स्थलीय गोलाकर पिंडो का निर्माण होता हैं ।
नये - नये बने हुये, सौरमंडल में छोटे - छोटे पार्टिकल्स इन 4 बड़े बड़े पिंडो से टकराते चले गये, और बन गए बुध, शुक्र, पृथ्वी, और मंगल जैसे स्थलीय ग्रह।
3. पृथ्वी एक बहुत ही विशेष क्षेत्र में स्थित हैं
दोस्तों अब आप यहां तक पृथ्वी के ढांचे के निर्माण को तो थोड़ा बहुत समझ ही गए होंगे। की
निरंतर पिंडों के टकराव होने के बाद एक समय ऐसा भी आया था |
जब धरती से मैटेरियल का टकराव होना बंद हो गया। धीरे – धीरे बनी हुई नई-नई बनी पृथ्वी बहुत ही ज्यादा गर्म थी।
जैसे –जैसे समय बीतता गया उसी के साथ – साथ पृथ्वी ठंडी होनी शुरू हो गई थी।
पृथ्वी ने ग्रेविटी से कुछ गैसे को अपनी तरफ आकर्षित कर धरती के बाहरी सतह का निर्माण किया।
पृथ्वी के
क्रस्ट (crust) के नीचे
धातुओं (mantle) की सतह में टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराव और घर्षण के कारण से बड़े - बड़े ज्वालामुखियों और पहाड़का निर्माण हुआ। और इन्हीं ज्वालामुखी के द्वारा निकलने वाले गैस ने पृथ्वी के वातावरण को बनाया था।
पृथ्वी से टकराने वाले ठंडे जमा हुआ बर्फ के चट्टान और पिंड ने पृथ्वी की सतह पर जल के अस्तित्व को लाया था।
ठंडे जमा हुआ बर्फ के चट्टान और पिंड ये सभी सौरमंडल के बाहर से आये हुये थे।
लेकिन पृथ्वी की सूर्य से दूरी अवस्थित वाला क्षेत्र बेहद विशेष क्षेत्र रहा था। जहां गर्म इतनी संतुलित मात्रा में था,
कि जल न तो बर्फ की अवस्था (Form) में रहा और ना ही वाष्प की अवस्था में बन सका,
बल्कि द्रव अवस्था (liquid state) में रहा। और इस विशेष क्षेत्र को जहां पृथ्वी स्थित है, उसे
habitable zone या
Goldilocks zone भी कहा जाता हैं।
4. पृथ्वी से एक ग्रह टकराया गया था,
ऐसा माना जाता है, की शुरुआत के समय में पृथ्वी से मंगल के आकार जितना एक ग्रह टकराया था।
जिसका नाम
थिया (thiea) था। थिया और पृथ्वी के टकराव होने से अंतरिक्ष में गये हुये मलबे के इकट्ठा होने के कारण से चंद्रमा का निर्माण हुआ था।
और इसी टकराव से धरती अपने अक्ष पर 23.4 डिग्री तक झुक गया था । जिससे की पृथ्वी पर मौसम में परिवतर्न होना शुरू हुआ था।
तो इस प्रकार से कुछ परिकल्पना की गई है, पृथ्वी के निर्माण होने के बारे में।
5. इस प्रकार से बना था, गैस दानव
इस लेख के उपर के कुछ वाक्यों में आपको पढ़ा, कि सौर हवा द्वारा कुछ हल्के मैटेरियल को सूर्य से बहा लिया गया |
और इन्हीं हल्के और गैसियस मैटेरियल के संग्रह होने से जोवियन
प्लैनेट्स (gas giant) या गैस दानव (jovian planet) जैसे की... बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेपच्यून जैसे प्लैनेट्स जैसे ग्रहों का निर्माण हुआ।
6. पृथ्वी से जुड़े हुये सवालों के जवाब..
1. पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चंद्रमा है |
2. चांद, सूर्य रोशनी के कारण चमकता है |
3. पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.50 डिग्री झुकी हुई है |
4. साल पृथ्वी की परिक्रमण गति के कारण होते हैं |
5. दिन और रात पृथ्वी के घूर्णन गति के कारण होते है |
6. चंद्रमा पर टाइटेनियम धातु की मात्रा सबसे अधिक है |
7. पृथ्वी के उपर से चाँद का सिर्फ 57 प्रतिशत % भाग ही दिखाई देता है |
8. चंद्रमा धरती के चारो और घुमने में 27 दिन 8 घंटे समय लेता है |
9. चंद्रमा के ऊपर सबसे ऊंचा पहाड़ लीबनिट्ज पर्वत है |
10. सूर्य की परिक्रमा करने में पृथ्वी के लगे समय को सौर वर्ष कहते हैं |
11. प्रत्येक एक कैलेंडर वर्ष या 16 वर्ष में 6 घंटे समय बढ़ जाता है |
12. बनावट और आकार की नजर से देखें तो पृथ्वी, शुक्र ग्रह के बराबर है |
13. नीला ग्रह पृथ्वी को पानी की उपस्थिति के कारण कहा जाता है |
14. सूर्य के बाद पृथ्वी का सबसे नजदीक तारा प्रॉक्सिमा सेंचुरी है |
15. सौरमंडल का एकमात्र ग्रह पृथ्वी है, जिस पर जीवन संभव है |
16. बड़े ग्रहों में पृथ्वी का सौर मंडल पर पांचवा स्थान है |
17. पृथ्वी का ध्रुवीय व्यास 12714 किलोमीटर है |
18. शून्य अंश की स्थिति को विषवत रेखा माना जाता है |
19. किसी भी जगह का समय देशांतर रेखाओं के आधार पर व्यक्त किया जाता है |
20. दो देशांतर रेखाओं के बीच की जगह को गोरे कहा जाता है |
21 चंद्रमा पर पहली बार अंतरिक्ष यात्रियों 21 जुलाई 1969 ई. को पहुंचे थे |
22. चंद्रमा पर पहली बार पहुंचने वाले यान का नाम अपोलो-11 था |
23 पृथ्वी जिस कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करती है, उसे दीर्घवृत्तीय कहा जाता है |
24. सूर्य और पृथ्वी के बीच जनवरी में दूरी कम हो जाती है, उसे उपसौरिक कहा जाता हैं |
25. पृथ्वी जुलाई में सूर्य से कुछ दूर चली जाती है, उसे अपसौरिक कहा जाता हैं |
26. जब कभी दिन के समय सूर्य तथा पृथ्वी के बीच चंद्रमा आ जाता है, उसे सूर्यग्रहण कहते हैं |
27. सूर्यग्रहण की रात को अमावस्या की रात कहा जाता है |
28. जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है, तो चंद्रग्रहण होता है |
29. चंद्रग्रहण पूर्णिमा की रात को होता है |
30. 180 डिग्री देशांतर को अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा कहा जाता हैं |
31. चंद्रमा की परत के अंदर की स्थिति का अध्ययन करने वाला विज्ञान सेनेनोलॉजी कहलाता है |
32. चंद्रमा के उपर स्थिति धूल के मैदान को शांति सागर कहते हैं |
33. चंद्रमा का दूसरा नाम जीवाश्म ग्रह है |
34. सूर्य जब भूमध्य रेखा के ऊपर होता है, उस समय उत्तरी समशीतोष्ण क्षेत्र में वसंत ऋतु ऋतू होती है |
35. सूर्य जब कर्क रेखा के बिलकुल ऊपर होता है, उस समय उत्तरी समशीतोष्ण क्षेत्र में ग्रीष्म ऋतु ऋतु होती है |
36. सूर्य जब दोबारा भूमध्य रेखा के ऊपर आता है उस समय उत्तरी समशीतोष्ण क्षेत्र में शरद ऋतु ऋतु होती है |
37. सूर्य जब मकर रेखा पर होता है, तो उस समय उत्तरी समशीतोष्ण क्षेत्र में शीत ऋतु ऋतु होती है |
38. पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकेंड यानी की 365 दिन 6 घंटे समय लगता है |
39. पृथ्वी अपने अक्ष के उपर पश्चिम से लेकर पूर्व दिशा में धूमती रहती है |
40. पृथ्वी में अपनी धुरी का चक्कर 1610 किलोमीटर प्रति घंटे की चाल से 23 घंटे 56 मिनट 4 सेकेंड समय में पूरा करती है |
41. चंद्रमा पर सबसे पहले पहुंचने वाले अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग एवं सर एडविन एल्डिन थे |
42.अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा सागर,आर्कटिक सागर ,बेरिंग स्ट्रेट और प्रशांत महासागर के बिच से गुजरती है |
43. कर्क रेखा भारत, चीन और म्यांमार देसों के अन्दर से जाती है |
44. ग्रीनविच माध्यम समय जीरो डिग्री देशांतर पर आधारित होता है |
45. ग्रीनविच माध्यम समय नार्वेजियन सागर, ग्रीनलैंज,ब्रिटेन, स्पेन, बुर्कीना फ्रांस,अल्जीरिया, माले, फासो, घाना और दक्षिणी अटलांटिक सागर से गुजरता है |
46. भारत का मानक समय ग्रीनविच मीनटाइम से साढ़े पांच घंटे आगे है |
47. पृथ्वी के ध्रुवों पर रात-दिन 6-6 महीने का होता है |
48. प्रत्येक सौर वर्ष में छह घंटे बढ़ने पर इसे हर चौथे वर्ष को यानी लीप वर्ष में शामिल कर लिया जाता है । इस कारण से लीप वर्ष 366 दिन का होता है । जिसके कारण से फरवरी महीने में 28 के स्थान पर 29 दिन होते हैं |
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