नागरिक-शास्त्र (Civics)
नागरिक शास्त्र (Civics) :-
सामाजिक विज्ञान का वह भाग है, जिसके अंतर्गत एक अच्छे नागरिक बनने के बारे में होने के तौर तरीको के बारे में अध्ययन किया जाता है |
यदि इसे दुसरे शब्दों व्यक्त किया जाये तो
नागरिक के सैद्धान्तिक, राजनैतिक और व्यावहारिक पक्षों का अध्ययन किया जाना ही नागरिक शास्त्र कहलाता है |
नागरिक शास्त्र में आप नागरिको के कर्तव्यों तथा अधिकारों का अध्ययन किया जाना ही नागरिक शास्त्र कहलाता है |
☆ नागरिक शास्त्र लेख के मुख्य बिन्दु है...
1. नागरिक शास्त्र की परिभाषा क्या है ?
2. विधान परिषद वाले राज्य कौन - कौन है ?
3. नागरिक शास्त्र से जुड़े हुये सवाल |
☆"नागरिकों के अधिकारों देश संबंधी विचारों एवं कर्तव्यों से संबंध रखनेवाला शास्त्र, नागरिक शास्त्र कहलाता है !"
☆ कण्व, सन्दीपनि, वाल्मीकि आदि ऋषि मुनियों के आश्रम वनों में ही स्थित थे| और इनके यहाँ दर्शन शास्त्रों के साथ - साथ ज्योतिष, व्याकरण, तथा नागरिक शास्त्र का भी अध्यन कराया जाता था |
2. विधान परिषद वाले राज्य कौन - कौन है ?
विधान परिषद वाले राज्य निम्न प्रकार से है...
तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, आंध्रप्रदेश, तथा कर्नाटक है |
यदि आप इसे याद चाहते है, तो आप इस इस Trick की मदद से आसानी से याद कर सकते है |
5. ☆ विधान परिषद वाले राज्य का नाम याद करने के तरीके
♥ तु tu भी b मजा mja कर kar (तू भी मजा कर) ♥
शब्द | वादक |
t | तेलंगाना |
u | उत्तर प्रदेश |
b | बिहार |
m | महाराष्ट्र |
j | जम्मू-कश्मीर |
a | आंध्रप्रदेश |
kar | कर्नाटक |
3. नागरिक शास्त्र से जुड़े हुये सवाल |
☆ राज्य सभा के गठन का मूल उद्देश्य :- संघीय व्यवस्था में राज्यों के सम्मान की रक्षा करना।
☆ राज्य सभा के सदस्यों की संख्या लोक सभा के सदस्यों की संख्या से कम रखा गया है ।
संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 250 तक है।
☆ राज्य सभा के 250 सदस्यों में से 12 सदस्य राष्ट्रपति के द्वारा निर्वाचित किये जाते हैं। तथा अन्य शेष 238 सदस्य चौथी अनुसूची में जनसंख्या को ध्यान में रखकर राज्यों से चुने जाते हैं।
☆ ‘काउंसिल ऑफ स्टेट्स’ नामक दूसरा सदन भारत में पहली बार सन् 1921 में भारत सरकार अधिनियम, 1919 के तहत अस्तित्व में आया।
☆ अध्यक्ष गव्हर्नर जनरल ‘काउंसिल ऑफ स्टेट्स’ का पदेन होता था।
☆ स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् संविधान सभा ने सन् 1954 में राज्य सभा के गठन का फैसला लिया।
उपरोक्त निर्णय के अनुसार 23 अगस्त 1954 को भारत में राज्य सभा के गठन की घोषणा कर दी गई |
और उस समय भारत के उपराष्ट्रपति को राज्य सभा का पदेन अध्यक्ष बनाया जाने का फैसला लिया गया ।
☆ जन प्रतिनिधित्व क़ानून की धारा 154 के तहत राज्य सभा सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है।
और प्रत्येक 2 वर्ष में राज्य सभा के एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं, और यही कारण है, की राज्यसभा कभी भंग नहीं होती है।
☆ राज्य सभा के सदस्य को भारत का नागरिक होना जरुरी है।
☆ राज्य सभा की सदस्यता के लिये न्यूनतम आयु 30 वर्ष तय किया गया है, तथा उल्लेखनीय है, की लोक सभा की सदस्यता प्राप्त करने के लिये न्यूनतम आयु 25 वर्ष तय किया गया है।
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