चिंता इस बात की नहीं है... कि समाज ने मुझे...
Vikas saxena 📅 21 Jan 👁️ 275
चिंता इस बात की नहीं है... कि समाज ने मुझे क्या दिया है...फिक्र तो बस यह है कि समाज की बेहतरी के लिए मैं अपनी मेहनत...अपनी क्षमता..अपनी ऊर्जा...ईमानदार जज्बात के साथ कितना देता हूं....
जरूर आज टूटे छप्परों के नीचे रहने वाले चेहरों पर अपने ही चुने नुमाइंदों से दिए गए तकलीफों की उदासी है...परंतु उन चेहरों को मुस्कुराने की आदत से इन्हें महरूम नहीं होने देने की जिद ही तो हमारी अग्निपरीक्षा है...
आपको यह जरूर लगे कि हम हवाओं की दिशा नहीं बदल पाएंगे...परंतु हमने भी तो ठान लिया है... बदमिजाज हवाओं से
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