1. जीव विज्ञान की परिभाषा या जीव विज्ञान क्या है? और जीवधारियों का वर्गीकरण :-
जीव विज्ञान :- विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अंतर्गत जीव धारियों का अध्ययन किया जाता है |
जिव विज्ञान का नामकरण :- Biology में bio का अर्थ “जीवन” होता है, और logy का अर्थ “अध्ययन” होता है अत: Biology का अर्थ अब यह बनता है, की... “जीवन का अध्ययन”
यानि की जिसके अंतर्गत जीव धारियों का अध्ययन किया जाता है | उसे जीव विज्ञान कहते है |
जीव विज्ञान के इस लेख के मुख्य बिंदुओ...
1. जीव विज्ञान की परिभाषा
2. जीव धारियों का पांच जगत में वर्गीकरण |
3. जीवों के नामकरण की दितीय पद्धति |
4. कुछ जीवधारियों के वैज्ञानिक नाम |
जीव विज्ञान शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम
लैमार्क (Lamarck) और उनके साथी
त्रिविनौस (Treviranus) नामक वैज्ञानिकों ने
1801 में शुरू किया था |
जीव विज्ञान के एक क्रमबद्ध ज्ञान के रूप में विकास प्रसिद्ध ग्रीक के दार्शनिक
अरस्तु के काल में हुआ था |
ग्रीक के दार्शनिक अरस्तु ने ही सर्वप्रथम पौधों और जंतुओं के जीवन के भिन्न - भिन्न पक्षों के विषय में अपने विचार प्रकट किये गये |
इसीलिए
अरस्तु को जीव विज्ञान का जनक माना जाता है | और इन्हें जंतु विज्ञान के जनक भी माना जाता हैं |
जीवधारियों का वर्गीकरण
अरस्तू के द्वारा समस्त जीवों को दो समूह में विभाजित किया गया था | जिनमें पहला जंतु समूह और दूसरा वनस्पति समूह शामिल था |
लीनियस वैज्ञानिक ने भी अपनी पुस्तक में संपूर्ण जीव धारियों को दो खंडो में में विभाजित किया हैं | जिसमे
एक जंतु जगत तथा दूसरा पादप जगत है |
लीनियस वैज्ञानिक ने वर्गीकरण की जो प्रणाली शुरुआत की उसी से आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली की नियुक्ति की गई है | जिसके कारण उन्हें आधुनिक वर्गीकरण का भी पिता कहा जाता हैं |
2. जीव धारियों का पांच जगत में वर्गीकरण
परंपरागत द्वि-संसार वर्गीकरण का स्थान Whittaker के द्वारा 1969 ईस्वी में प्रस्तावित पांच संसार प्रणाली ने ले लिया | और इसके अनुसार समस्त जीवों को निम्नलिखित पांच खंडो में वर्गीकृत किया गया है |
1) जंतु
2) कवक
3) पादप
4) प्रोटिस्टा
5) मोनेरा
1. जंतु:-
जंतु इस संसार में सभी बहुकोशिकीय जंतुसंभाजी यूकेरियोटिक उपभोक्ता जीव शामिल किया जाता हैं | इनको मोटोजोऔ भी कहा जाता हैं | जेलीफिश, कृमि, उभयचर¸ मछली¸ कृमि, हाइड्रा, सितारा, सरीसृप, पक्षी तथा स्तनधारी जीव संसार के अंग है |
2. कवक:-
इस संसार में वह यूकेरियोटिक तथा परपोषित जीवधारी शामिल किए जाते हैं | जिनमें अवशोषण के द्वारा पोषण होता है | ये सभी इतरपोषी जीव होते हैं | यह परजीवी अथवा मृत्यु परजीवी होते हैं इसकी कोशिका भित्ति काइटिन का बना हुआ होता है |
3. पादप:-
इस संसार में प्राय: वे सभी रंगीन, बहुकोशिकीय, प्रकाश संश्लेषी उत्पादक जीव शामिल हैं | शैवाल, मांस, पुष्पीय और अ पुष्पीय बीजीय पौधे इसी संसार के अंग है |
4. प्रोटिस्टा:-
इस संसार में भिन्न-भिन्न प्रकार के एक कोशकीय प्राय: जलीय यूकैरियोटिक जीव शामिल किए गए हैं | पादप एवं जंतु के बीच में स्थित युग्लीना इसी संसार के है | इस दो प्रकार का
जीव पद्धति प्रदर्शित करती है- सूर्य के प्रकाश में स्वपोषित और प्रकाश के अभाव के इतर पोषित इसके अंतर्गत साधारणत: प्रोटोजोआ आते हैं |
5. मोनेरा:-इस संसार में सभी प्रोकैरियोटिक जीव अथार्त जीवाणु, साइनो-बैक्टीरिया और आर्की-बैक्टीरिया शामिल है | तंतुमय जीवाणु इसी संसार के अंश है |
3. जीवों के नामकरण की दितीय पद्धति
सन 1753 ईस्वी में कैरोलस लीनियस नामक वैज्ञानिक ने जिनकी वर्गिकी के जन्मदाता भी है, उन्होंने जीवों की द्विनाम पद्धति को शुरू किया |
और इस पद्धति के अनुसार
प्रत्येक जीवों का नाम लैटिन भाषा के दो शब्दों के योग से बनता है | जो की पहला शब्द वंश नाम कहलाता हैं, तो वही दूसरा शब्द जाती नाम कहलाता है |
वंश तथा जाती नामों के वर्गीकिविद वैज्ञानिक के नाम के अनुसार पर रखा या लिखा जाता है, जिसने सबसे पहले उस जाति को खोजा किया था | जिसने इस जाति को सबसे पहले वह वर्तमान नाम
दिया | जैसे की आप मानव के नाम को उदाहरण लेकर आसानी से समझ सकते है...
मानव का वैज्ञानिक नाम होमो स्पेनियस लिन है. लिन वास्तव में लीनियस वैज्ञानिक के प्रथम दो है, इसका अर्थ है, कि सबसे पहले लीनियस वैज्ञानिक ने इस जाति को होमोसेपियंस नाम से पुकारा है |
4. कुछ जीवधारियों के वैज्ञानिक नाम...
मानव:- Homo Sapiens
मटर:- Pisum Sativum
चना:- Cicer Aestivum
गेंहू:- Triticum Aestivum
धान:- Oryza Sativa
सरसों:- Brassica Campestris
आम:- Mangifera Indicus
बिल्ली:- Felis Domestica
मेंढक:- Rana Trgrina
कुत्ता:- Canis Familiaris
गाय:- Bos Indicus
मक्खी:- Musca Domestica
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