☆ आज की कोटेदार की असली हकीकत जिसे हम सभी जानते है !
👉 1. किरासन तेल में धांधली 👇
आपका जो हक है, जितना लिटर मिलना चाहिये, नहीं मिलता है, और प्रति लिटर की कीमत भी ज्यादा लेते है, और लिटर नापने वाला बर्तन को देखेंगे, तो ऐसा मालूम चलता है, की न जाने कौन सी खुदाई में मिला था, जिसे विरासत के तौर पर उसी दबे, पिचके और चपटे लिटर का इस्तेमाल करते रहते है,
👉 2. चावल में धांधली 👇
सरकारी तय कीमत से ज्यादा लेना, और यदि आप 40 kg. कोटा से चावल लेते है, और जब आप उसका सही वजन करते है, तो आपको मालूम चलेगा है, की वजन 40 kg से लगभग 5 से 6 kg कम है,
👉 3. गेंहू में धांधली 👇
गेंहू में भी वही हाल आपको देखने को मिलेगा जो आप चावल में देखते है, और तो और साल के 12 कोटे में से लगभग 4 से 5 कोटा नदारत कर देते है !
👉 4. साधारण निष्कर्ष 👇
अगर उपर के सभी कथनों को देखा जाये, तो इन सभी में यह साधारण बातें है, की सरकारी तय कीमत से ज्यादा लेना, मात्रा कम देना, और जो मात्रा सामने देते भी है, तो वह सही मात्रा नहीं होता है !
और इन सब के अलावा न जाने कितने उपाय अपनाते है, जिससे की आम लोगों को चुना लगाया जा सके !
👉 5. सबसे रोचक तथ्य 👇
सबसे बड़ी बात यह है, की इतनी हकीकत तो हर कोई जानता है, फिर भी लोग न जाने किन लोगों पर या किस भगवान के भरोसे छोड़ देते है, साहब हर काम भगवान ही नहीं करता है, कुछ काम हम और आप जैसे को करना पड़ता है,
एक बात और की कुछ लोगों का तो यह कहना होता है, की लुटने दो मेरा ही सिर्फ थोड़ी जाता है, जा रहा है, तो सब का जा रहा है, वाह क्या बात है, मतलब समझदार, बुद्दिजीवी, मानवता या इंसानियत नाम की कोई चीज ही नहीं लोगों के अंदर बचा, सभी लोग अनपढ़ और समझदार बस एकही इसी विचारधारा में बह रहे है,
भाई - साहब अगर आपके अंदर सोचने और समझने की शक्ति है, तो विचारधारा पर न चलकर खुद के विचारों पर चलिये !
विचारधारा के साथ नहीं बल्की स्वयं के विचार से आगे बढ़े
👉 6. क्या करें 👇
बिहार में पैक्स अध्यक्ष की चुनाव है, और आप कहेंगे, की यहाँ तो सिर्फ बुराई ही मालूम चलता है, तो जी नहीं जनाब यह बुराई नहीं हकीकत से अवगत करा रहा हूँ,
तो ऐसी स्थिति में हम अपना मत का कहाँ प्रयोग करे,
तो जनाब सभी लोग बेईमान नहीं होते है, हमारे समाज में अब भी ऐसे बहुत से प्रतिनिधि है, जो अपने लिये नहीं बल्की गरीबों के हक के लिये नि - स्वार्थ भाव से चुनाव लड़ते है, तो आप वैसे ही प्रतिनिधि का चुनाव का करे, जो यह सब धांधली न करता हो,
क्योंकि आज की ये हकीकत है, की जब लोग यह सब धांधली अपने सामने देखते है, तो लोग अपनी जुबान से कुछ नहीं कह पाते है, लेकिन इतना तो जरुर है, की लोग अपने मन में कितनी ही गलियाँ देते होंगे ! यह हकीकत है,
और वही अगर किसी ने हिम्मत जुटा दी कुछ बोलने के लिये तब देखिये, कितने लोग साथ हो जाते है, लेकिन वैसे बेईमान कोटेदार के पास आवाज को दबाने के लिये न जाने कितने पैतरे चलते है, या तो उस इंसान को
जिसने आवाज उठाया है, उसे किसी भी प्रकार लोभ - प्रलोभन देकर शांत कर देते है, तो मेरा कहना है, की जब आप आवाज उठाते है, तो सभी को हक दिलाने का काम करे !
👉 7. अत्याचार करने वाले से बड़ा अपराधी सहने वाला होता है 👇
जी हाँ आपने यह कहावत पढ़ा या सुना ही होगा, यदि हाँ तो क्या सिर्फ पढ़ने और सुनने की बाते है, या इसे अमल में भी लानना चाहिये !
हम ईस देश के अंदर सभी भ्रष्टाचार को तो नहीं रोक सकते है, लेकिन हम - अपने आसपास के भ्रष्टाचार को तो रोकने का प्रयास कर ससकते है,
सफल होना या नहीं होना यह तो समय की बात है, लेकिन बुराई के खिलाफ आवाज उठाना सभ्य और इंसानियत बचे होने की निशानी है !
आपके अंदर तब मानवता या इंसानियत बची हुई है, जब - तक आपके आखों के आगे अत्याचार नहीं हो रहा है, क्योंकि जिस दिन आपके आखों के आगे बुराई, भ्रष्टाचार, या अत्याचार होने लगा तो समझ जाईगा,
की आपके अंदर अब मानवता या इंसानियत नाम कोई चीज ही नहीं बची हुई है, क्योंकि यह तभी संभव है, जब आप इसे होने में मदद करते है, आप कहियेगा की, हम कैसे बुराई, भ्रष्टाचार, या अत्याचार को बढ़ने में मदद करते है !
तो इसका जवाब यह है, की आपकी "खामोशी" आपका खामोश रहना ही उनलोगों की मदद है,
इशलिये भगवान से दुआ करे की वो आपके अंदर मानवता या इंसानियत को जिंदा रखे !
👉 8. सदा सत्य 👇
किसी भी इंसान को छोटा नहीं समझना चाहिये, क्योंकि वो जो कर सकता है, शायद आप भी नहीं कर सकते है !
और किसी भी खामोश या दबी हुई जुबान को इतना मत दबाओं, की जब वह बोलना शुरू करें, तो पूरी इतिहास ही तुम्हारे सामने रख दे !
हर एक इंसान हर एक करतूत को समझता है, क्योंकि जहाँ से चापलूस और भ्रष्ट इंसान सोचना बंद करता है, न वहाँ से खामोश इंसान उस पल में सोचना शुरू करता है !
👉 9. ईस देश में पढ़े लिखे लोग की कोई Value ही नहीं है 👇
हमारे देश में पढ़े लिखे हुये लोग की कोई कद्र ही नहीं है, और इसका जिता - जागता तजा सबुत यह है, की हमारे बिहार के महान गणितग्य वशिष्ट नारायण सिंह है, जिनका देहांत 14-11-2019 को पटना के PMCH hospital में हुई !
वे 1975 से मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित थे, वशिष्ठ नारायण सिंह पिछले काफी दिनों से बीमार चल रहे थे ! इस देश में उनका सही से इलाज न हो सकने की वजह से अमेरिका 1976 में उनकी ईलाज और पुरे जिन्दगी की खर्चा लेने को तैयार था !
लेकिन लेकिन उनके परिवार वाले का आरोप है, की इस देश की राजनीती ने अपने फायदे के लिये उन्हें जाने नहीं दिया और 1976 से 1987 तक राँची के Mental Hospital में भर्ती कराकर उनकी प्रतिभा कुचल दिया !
गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने महान वैज्ञानिक आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत को चुनौती दी थी !
उनके बारे में मशहूर है कि नासा में अपोलो की लांचिंग से पहले जब 31 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हो गए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर्स का कैलकुलेशन एक जैसा ही था.
आप कहियेगा की इनका इससे क्या लेना - देना है, तो जनाब इसका जवाब यह है, की राजनीती जब इतने बड़े लोगों को नहीं छोड़ा तो हम और आप जैसे किस खेत की मुली है, इशलिये अपना हक छोड़िये नहीं बल्की लेने का प्रयास करे !
उनकी पत्नी का कहना है की,
अगर किसी नेता का कुता गलती से बिमार भी हो जाये, तो उसके पीछे डॉक्टरों की लाईन लग जाती है !
आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती देने वाले और नासा के साथ काम करने वाले महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का शव एम्बुलेंस के लिए घंटों इंतजार करता रहा।
💥 अगर आपके अंदर जरा सी भी इंसानियत है, और आप लगता है, की यह सत्य है, तो अपने सभी लोंगो के साथ Share करे, और उन्हें मतदान से पहले जागृत करे ! 📲
जो सच है, हमेशा सच होता है, और जो गलत है, वह किसी भी स्थिति किसी भी तर्क के बाद भी गलत ही होता है !